29) खुरफाकान का यादगार सफऱ ( दुबई डायरी )( यादों के झरोके से )
शीर्षक = खुरफाकान का यादगार सफऱ
दुबई डायरी में आपका स्वागत है , एक बार फिर हाजिर हूँ दुबई में इकठ्ठा की गयी यादों को आपके साथ साँझा करने के लिए
तो देर किस बात की चलते है , आज आपको दुबई के एक ऐसी जगह के बारे में बताते है जो की एक ठंडा इलाका है, जो की दुबई में नही बल्कि एमारात के दुसरे सूबे शारजह से आगे पड़ता है
पहाड़ो से घिरा होने के कारण यहाँ का तापमान दुबई और अन्य सूबो की तुलना में कम होता है, और अक्टूबर से लेकर मार्च तक तो यहाँ का मौसम बेहद ठंडा होता है जैसा की अपने यहां दिल्ली में होता है
वैसे तो खुरफाकान हम लोग कई बार जा चुके है लेकिन अभी जब हम लोग खुरफाकान गए तब वो सफऱ बहुत यादगार था वो क्यू यादगार बना उसका आगे वर्णन करेंगे
हम सब की छुट्टियां थी , क्यूंकि यहाँ 1 दिसंबर से लेकर 3 दिसंबर तक की सरकारी छुट्टी रहती है , जिस तरह 15 अगस्त को अंग्रेज़ों से हमें आज़ादी मिली थी उसी तरह यूनाइटेड अरब एमीरात भी अस्तित्व में आया था जिसके चलते यहाँ हर साल 1 दिसंबर से लेकर 3 दिसंबर तक छुट्टी रहती है
रूम पर बैठे बैठे बोर हो रहे थे इसलिए खुरफाकान जाने का प्लान बनाया , हम सब भाई दोस्त तैयार थे और अपने मासी के बेटे की गाड़ी से जाने लगे रास्ते के लिए कुछ खाने पीने का रख लिया
रास्ते में रुकते रुकाते तस्वीर बनाते, बाते करते सफऱ का आंनद लेते हम खुरफाकान की और बढ़ रहे थे , रास्ते में ही नमाज़ का समय होने पर नमाज़ भी अदा कर ली और फिर चाय पीकर आगे का सफऱ तय कर लिया
बहुत देर चलने के बाद आखिर कार सामने से पहाड़ नज़र आने लगे और खिड़की से आती ठंडी हवा इस बात का सबूत देने लगी की अब हम खुरफाकान की सीमा में है
थोड़ी देर बाद हम उन पहाड़ो पर पहुंच गए, गाड़ी पार्किंग में लगा कर वहाँ पहाड़ की चोटी पर बने एक पत्थर के किले में गए जहाँ से ढलता सूरज बेहद प्यारा लग रहा था और थोड़ी देर बाद शाम होने पर वहाँ से लाइट की रौशनी में जलता वो शहर बहुत अच्छा लग रहा था
करीब दो तीन घंटे उन पहाड़ियों पर बिताने के बाद उस ठन्डे और सुहाने मौसम का आंनद लेने के बाद हम लोगो ने वापसी की राह पकड़ी , रास्ते में ही कुछ खा पी लिया
किन्तु जैसे ही हमारी गाड़ी हाईवे पर पहुंची गाड़ी में दिक्कत आना शुरू हो गयी दिक्कत कुछ इस प्रकार थी की गाड़ी के रेडिएटर का पानी लीक हो रहा था जिसके चलते इंजन गर्म पड़ जा रहा था और गाड़ी रुक जा रही थी
बहुत मुश्किलों से रास्ते भर उसमे जगह जगह रुक कर पानी डालते हुए, घर पहुंचने की दुआ मांगते हुए उसे करीब 1 बजे घर लेकर आये भूख भी लगने लगी थी जो भी कुछ खाया पिया था सब हजम हो गया था गाड़ी को धक्का लगाने तो कभी उसके लिए पानी लाने में लेकिन खुदा का शुक्र था की साथ खैरियत से घर आ गए थे
ऐसे ही किसी अन्य याद गार लम्हें को आपके साथ साँझा करने फिर आऊंगा जब तक के लिए अलविदा
यादों के झरोखे से
Sachin dev
15-Dec-2022 06:13 PM
Amazing
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